नमो ब्राह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च।
जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥
इस श्लोक का अर्थ है:
- ब्राह्मण और गायों के हितैषी को नमन:
इस पंक्ति में भगवान को उन सभी का रक्षक और हितैषी कहा गया है जो धर्म का पालन करते हैं, विशेषकर ब्राह्मण और गायें। ब्राह्मण को प्राचीन समय में धर्म और ज्ञान का वाहक माना जाता था, और गायों को पवित्रता का प्रतीक। जैसे एक किसान अपने पशुओं की देखभाल करता है, वैसे ही भगवान ब्राह्मण और गायों का रक्षण करते हैं।
उदाहरण: जैसे किसी परिवार का मुखिया अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल और संरक्षण करता है, वैसे ही भगवान ब्राह्मण और गायों का रक्षण करते हैं।
- संपूर्ण संसार के हितैषी श्रीकृष्ण को नमन:
इस पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण को संपूर्ण जगत का हितैषी और रक्षक कहा गया है। भगवान का कार्य केवल एक वर्ग या समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पूरे विश्व के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। भगवान गोविंद (श्रीकृष्ण) को बार-बार नमन किया जा रहा है, यह दर्शाता है कि वे हमारे जीवन के सभी पहलुओं में उपस्थित हैं और हमें सही मार्ग दिखाते हैं।
उदाहरण: जैसे सूर्य अपनी किरणों से पूरे जगत को प्रकाशित करता है और सबके लिए समान रूप से उपलब्ध है, वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण सबके हितैषी और मार्गदर्शक हैं।
यह श्लोक भगवान को उनके विभिन्न रूपों में आदर और नमन करता है, यह बताते हुए कि वे हर स्तर पर हमारे हित के लिए कार्य कर रहे हैं—चाहे वह धार्मिक हो, सामाजिक हो, या वैश्विक हो।
Namo Brahmannya Devaaya Go-Braahmanna Hitaaya Ca |
Jagat Hitaaya Krssnnaaya Govindaaya Namo Namah ||
अर्थार्थ – Meaning
1: Salutations to the Lord Who is of the Nature of Supreme Consciousness, and the Friend and Benefactor of the Cows and the Brahmins,
2: Salutations to the Lord Who is the Friend and Benefactor of the Whole World; Salutations to Sri Krishna; Salutations to Sri Govinda; Salutations, Salutations to Him again and again.
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